Uttarkashi : केदारनाथ त्रासदी से नहीं लिया कोई सबक, नदियों के किनारे प्लड प्लेन क्षेत्रों में अतिक्रमण

उत्तरकाशी के धराली गांव में आई विनाशकारी बाढ़ का कारण खीर गंगा के ऊपरी कैचमेंट क्षेत्र में स्थित किसी ग्लेशियर का टूटना या ग्लेशियर झील का फटना हो सकता है। यह संभावना गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामी रामतीर्थ परिसर के भू-गर्भ वैज्ञानिक प्रोफेसर डीएस बागड़ी ने जताई है।

प्रोफेसर बागड़ी ने 2013 की केदारनाथ त्रासदी को याद करते हुए कहा कि हमने उससे कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में नदियों और नालों के किनारे फ्लड प्लेन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में किसी भी तरह के अतिक्रमण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए, क्योंकि ऐसे क्षेत्र भूस्खलन और धंसाव जैसी घटनाओं के लिए अत्यंत असुरक्षित होते हैं।

प्रोफेसर बागड़ी ने बताया कि मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को हर्षिल में 9 मिमी और भटवाड़ी में 11 मिमी बारिश हुई। इतनी कम बारिश में बादल फटने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोग लैंडस्लाइड लेक आउटबर्स्ट फ्लड जैसी किसी बड़ी घटना की आशंका जता रहे हैं, जो कि 1978 में हर्षिल से कुछ किलोमीटर पहले कनौलडिया गाड में भी हुई थी। उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य नियम है कि हिमालयी गाड-गदेरे 20-25 साल के अंतराल में अपनी पूर्व स्थिति में आते हैं। 

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