बच्चे दो ही अच्छे और दोनों हों बेटियां तो प्रोत्साहन देना है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लक्ष्य। इसमें उत्तराखंड को बड़ी सफलता मिली है। राज्य में बीते वित्तीय वर्ष में 69 हजार से ज्यादा परिवारों में दो बेटियों ने जन्म लिया है। दो बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देने के लिए बाकायदा लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे हासिल करने में पौड़ी गढ़वाल और ऊधम सिंह नगर सबसे आगे रहे हैं। देहरादून और बागेश्वर में भी 100 फीसदी से अधिक सफलता मिली है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल कल्याण विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रथम बालिका पंजीकरण का लक्ष्य 58,173 रखा, जिसके मुकाबले 51,790 पंजीकरण हुए। दूसरी संतान भी बालिका हो, इसके लिए 21,105 पंजीकरण का लक्ष्य रखा, जिसकी तुलना में 17,527 पंजीकरण हुए हैं। इसके तहत 1.34 लाख महिलाओं को करीब 41 करोड़ रुपये से ज्यादा की सहायता राशि जारी की गई है।
केंद्र पोषित योजनाओं की राज्य नोडल अधिकारी आरती बलोदी ने बताया कि मातृ वंदन योजना के तहत नए वित्तीय वर्ष (2025-26) के लिए कुछ जिलों के लिए लक्ष्य बढ़ाने की कोशिश रहेगी, ताकि गर्भवती महिलाओं को प्रोत्साहन और सुविधाएं देने के साथ बेटी बचाओ अभियान को भी बढ़ावा दिया जा सके।
इसके तहत गर्भवती महिलाओं को पहली बेटी के जन्म पर दो किश्तों में पांच हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। उसके बाद दूसरी संतान भी बेटी हुई तो छह हजार रुपये की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि सीधे बैंक खाते में दी जाती है। योजना का लाभ उठाने के लिए गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी या स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराना होता है।
पौड़ी गढ़वाल में पहली बालिका के जन्म पंजीकरण का लक्ष्य 1790 रखा गया था, जिसमें 1926 पंजीकरण हुए। वहीं दूसरी संतान भी बालिका होने का अनुमानित लक्ष्य 596 रखा गया था, जिसमें 607 पंजीकरण हुए। इस तरह पौड़ी में सफलता दर 106 फीसदी रही। इसी तरह देहरादून, बागेश्वर और ऊधम सिंह नगर ने भी अपने कुल पंजीकरण लक्ष्य को 100 फीसदी से अधिक हासिल किया है। अन्य कई जिलों में भी प्रगति संतोषजनक रही। चमोली में तय लक्ष्य से 88 फीसदी, चंपावत में 76 फीसदी, नैनीताल में 84 फीसदी, रुद्रप्रयाग में 98 फीसदी और उत्तरकाशी में 79 फीसदी पंजीकरण दर्ज किए गए।