देहरादून: उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने सोमवार को प्रदेश में UCC (UNIFORM CIVL CODE) लागू कर दिया है. जिसके बाद उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. राज्य सरकार के मुताबिक UCC व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है. साथ ही शादी, तलाक, उत्तराधिकार (वसीयत) और लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित कानूनों को नियंत्रित करता है.
UCC में सैनिकों की वसीयत के लिए विशेष प्रावधान किया गया है
सेना में राज्य के युवाओं के बलिदान और उनके योगदान के मद्देनजर UCC के तहत अधिनियम “विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत” को विशेष महत्व दिया गया है. जिसके मुताबिक सक्रिय सेवा (एक्टिव सर्विस) या तैनाती (Deployment) पर सैनिक, वायु सेना के कर्मी या मरीन (Marines) सरल और लचीले नियमों के तहत वसीयत तैयार कर सकते हैं.
- वसीयत- हस्तलिखित हो सकती है
- मौखिक रूप से लिखवाई गई हो सकती है
- गवाहों के सामने शब्दशः प्रस्तुत की गई हो सकती है
इस सुव्यवस्थित प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कठिन और उच्च जोखिम वाली स्थितियों में तैनात लोग भी अधिनियम के अनुसार अपनी संपत्ति की इच्छाओं को प्रभावी ढंग से रजिस्टर्ड करा सकें. अगर कोई सैनिक अपने हाथ से वसीयत लिखता है, तो हस्ताक्षर या सत्यापन की औपचारिकताओं की जरूरत नहीं होती है. बशर्ते यह स्पष्ट हो कि दस्तावेज़ उसके अपने शब्दों में तैयार किया गया था.
मौखिक रूप से बनाई गई वसीयत: इसी तरह-
अगर कोई सैनिक या वायुसेना का जवान दो गवाहों के सामने मौखिक रूप से वसीयत घोषित करता है, तो उसे भी विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत माना जा सकता है
हालांकि अगर वह व्यक्ति अभी भी जीवित है और उसकी विशेष सेवा शर्तें (सक्रिय सेवा, आदि) समाप्त हो गई हैं, तो यह एक महीने के बाद अपने आप अमान्य हो जाएगी
इसके अलावा, यह भी संभव है कि कोई और सैनिक के निर्देशानुसार वसीयत का मसौदा तैयार करे और सैनिक उसे मौखिक रूप से या कार्रवाई में स्वीकार कर ले, ऐसी स्थिति में भी इसे वैध विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत माना जाएगा.
वसीयत लिखने के लिए लिखित निर्देश: अगर सैनिक ने वसीयत लिखने के लिए लिखित निर्देश दिए थे, लेकिन इसे अंतिम रूप दिए जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई, तो उन निर्देशों को अभी भी वसीयत माना जाएगा, बशर्ते यह साबित हो जाए कि वे उसकी इच्छाएं थी.
जरूरी बात ये है कि एक विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत (Privileged will) को सैनिक भविष्य में रद्द या संशोधित भी कर सकते हैं. इसे रद्द कर वो एक नई विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत या साधारण वसीयत बना सकते हैं.